शब्द-सृष्टि
कल कभी नहीं आता ;अच्छाई की शुरूआत...अभी.
Saturday, June 23, 2007
जीवन की क़ीमत
का़मयाबी के लिये ज़िन्दगी
को बडी़ क़ीमत चुकानी पड़ती है.
इसके बजाय यूं कहना बेहतर होगा
कि ज़िन्दगी ही चुकानी पड़ती है.
ये अलग बात है कि आजकल
ज़िन्दगी की कोई क़ीमत नहीं
की़मत की ही की़मत है.
(विचार प्रेरणा:श्री प्रमोद महाजन का निधन)
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