Wednesday, August 15, 2007

दो अलग बातें हैं


किसी व्यक्ति को आदर देना और उसके लिये मन में आदर होना.....दो अलग बातें हैं.


संस्कारों की दुहाई देना और वक़्त आने पर उस पर चलना उतरना.....दो अलग बातें हैं


मीठे शब्द बोलना और वैसा आचरण करना.....दो अलग बातें हैं


किसी से सहमत होने का अभिनय करना और उसकी बात का अनुसरण करना.....दो अलग बातें हैं.


क्रोध पी जाता हूं मै ऐसा कहना और वाक़ई क्रोध पी जाना.....दो अलग बातें हैं.


महान विभूतियों का जीवन-चरित पढ़ना और वैसा बनना.....दो अलग बातें हैं


उदारता की बातें करना और उदार होना.....दो अलग बातें हैं


प्रगतिशीलता पर चलने सीख देना और प्रगतशील होना.....दो अलग बातें हैं.

4 comments:

Udan Tashtari said...

किसी का चिट्ठा पढ़ना और फिर टिप्पणी करना.....दो अलग बातें हैं.

--हम दोनों किये हैं.

अब इस पर खुश होना और खुशी देने के लिये आभार व्यक्त करना.....दो अलग बातें हैं.

-यह आपको करना है. :)

mamta said...

समीर जी की बात से हम सहमत है :)
देखिए हमने भी आपकी पोस्ट पढ़ी और टिपण्णी भी की है...!!

sanjay patel said...
This comment has been removed by the author.
शब्द-सृष्टि said...

ह्र्दय से आभारी होना और उसका ह्र्दय पर भार लेना दो अलग बातें हैं...बिना भार के आभार..एकदम ख़ुशी ख़ुशी क्योंकि दिन की शुरूआत ही आपकी टिप्पणियों को पढ़ कर हो रही है.शु क्रि या.