-हमारी सबसे बड़ी शान गिरने में नहीं ...हर बार गिर कर उठ खड़े हो जाने में हैं.
-मधुर शब्द शहद के समान है .आत्मा के के लिये मधुर और देह के लिये स्वास्थ्यवर्धक.
-बुध्दि परीक्षण करने बैठती है किन्तु विवेक निरीक्षण में ही खु़श रहता है.
-जिन्हें सबसे कम कहना होता है..वही सबसे ज़्यादा बोलते हैं.
-विरोधी ही सबसे बडा़ पथ-प्रदर्शक और अंतत: शुभ-चिंतक साबित होता है.
-अतीत पर क्रोध और भविष्य के भय में पूरा जीवन बीत जाता है
जबकि बीतना चाहिये वर्तमान के लिये.
-दूसरों की अनुकंपा पर जीने वाला मनुष्य भिखारी के समान नहीं..भिखारी ही है.
-विस्तार में हाहाकार है...समेटने में सार है.
-सहो और बचो.
-प्रसन्न रहना चाहते हैं ? दूसरों से अपेक्षा मत करो...दूसरों की अपेक्षा को पूरा करो.
-उस निराकारी ईश्वर को दिन में एक बार अवश्य धन्यवाद दो जिसने आज का दिन सुदिन बना दिया..हमें स्वस्थ रखा..मानसिक रूप से चैतन्य रखा और किसी के लिये मन में शुभ-विचार लाने के लिये प्रेरित किया.इति शुभम.
3 comments:
अति उत्तम सुविचार. आभार.
चिंतन के लिये प्रोत्साहित किया आप ने -- शास्त्री जे सी फिलिप
हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
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विरोधी ही सबसे बडा़ पथ-प्रदर्शक और अंतत: शुभ-चिंतक साबित होता है.
बहुत सही कहा आपने, मेने भी आजमया है
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