Friday, August 24, 2007

आत्मा रूपी रजिस्टर में हमारे सब दोष और दुष्कर्म दर्ज़ हो जाते हैं.


हिन्दी में डाँ कलाम रचित आकर्षक शब्द उपहार....

पूर्व राष्ट्रपति भारतरत्न डाँ.ए.पी.जे.अब्दुल कलाम ने राष्ट्राध्यक्ष से ज़्यादा एक चिंतक के रूप में देशवासियों अधिक मोहा है. हिन्दी में प्रकाशित उनकी पुस्तकों को पाठकों ने शानदार प्रतिसाद दिया है. प्रेरणात्मक विचार नाम से डाँ.कलाम रचित एक आकर्षक शब्द उपहार देखने में आया. 6 X 4 इंच के लगभग आर्ट पेपर के सुन्दर से आवरण से सज्जित पुस्तक में बिना किसी भूमिका के चार पंक्तियों में सुरभित मन को छू लेने वाली सूक्तियाँ संकलित की गईं हैं. राष्ट्र-प्रेम,तकनालाँजी,शिक्षा,सुनहरा भविष्य, समाज,संगीत,बच्चे डाँ कलाम के चिंतन का स्थायी स्वर रहे हैं सो ये सुविचार भी इसी के इर्द-गिर्द हैं.अच्छा मशवरा माननेवालों के लिये बता दूँ कि यह प्रकाशन शुभ-प्रसंगों में भेंट किये जाने वाले 101/- लिफ़ाफ़े से बेहतर है. इसी संकलन से संचय किये गए सुविचारों की बानगी :

- जीवन का महत्व इस बात में है कि खु़द क़ामयाबी हासिल करने से अधिक हम दूसरों को
क़ामयाबी हासिल करने में मददगार हो.

- शिक्षक का जीवन अनेक जीवन को सँवारता है.

- अनदेखे,अनजान रास्तों पर चलने के लिये सदैव तैयार रहना चाहिये.

- हमारा सपना है ऐसे देश का निर्माण ,,जिसमें प्रत्येक देशवासी के चेहरे पर
मधुर मुस्कान हो.

- बचपन में दी गई शिक्षा , संस्कार और नैतिकता किसी काँलेज और यूनिवर्सिटी में मिली
औपचारिक शिक्षा से अधिक महत्वपूर्ण होती है.

- शरीर-रूपी मंदिर को आत्मा - रूपी दीपक ही प्रकाशित करता है.

- आत्मा-रूपी रजिस्टर में हमारे सब दोष और दुष्कर्म दर्ज़ हो जाते हैं.

- नेक और ईमानदार व्यक्ति ही अपने विवेक का इस्तेमाल कर सकता है.

- लेखक समाज की आत्मा के प्रहरी हैं.

- प्रश्न करते रहिये और उनके उत्तर खोजते रहिये...समय आने पर उत्तर मिलेंगे ही;
और समस्याओं का समाधान भी होगा .

104 पेज का ये शब्द संचयन दो रंगों में बहुत सादा लेकिन सुरूचिपूर्ण तरीक़े से राजपाल एण्ड संस ने प्रकाशित किया है. सारी सूक्तियाँ मन को छूती हैं. प्रत्येक पृष्ठ पर वाँटर मार्क के रूप में कलात्मक चित्र भी हैं जो इन सूक्तियों को पढ़ते वक़्त आँखों को सुकून देते हैं. हिन्दी के प्रसार और प्रचार में भी डाँ.कलाम का यह शब्द संचय महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा क्योंकि छोटी छोटी पंक्तियों में रचे गए ये अग्नि मंत्र वाक़ई प्रेरणास्पद तो हैं ही साथ अंग्रेज़ीदाँ युवा पीढ़ी हमारी राष्ट्र-भाषा की ओर भी ले जाते हैं.हिन्दी मे निश्चित ही ऐसे प्रकाशनों की आवश्यकता है जो उपदेशात्मक न होते हुए आपसे बतियाते हुए नज़र आएँ और पढ़ते ही दिन भर आपके मन-मस्तिष्क में स्पंदित होते रहें.

4 comments:

अनूप शुक्ल said...

बहुत अच्छा लगा यह पोस्ट देखकर!

Manish Kumar said...

इस जानकारी के लिए शुक्रिया संजय भाई !

परमजीत सिहँ बाली said...

जान्कारी के लिए धन्यवाद।

Rajeev (राजीव) said...

यह जानकारी तो खूब रही। बहुत अच्छा लगा। अब देखते हैं इसे कहां मिलती है, पोस्ट से तो हम मंगाना याद नहीँ रख सकते पर पुस्तक विक्रेता से अवश्य पता करेंगे!