Monday, December 29, 2008

हमारी ख़ुशी का रिमोट दूसरों के हाथ में है


सच मानिये ...हमारी ख़ुशी और ग़म का रिमोट कंट्रोल हमारे हाथ में न होकर दूसरे के हाथ में है।
कोई कुछ अच्छा कह देता है तो हम ख़ुश हो जाते हैं; बुरा कह देता है तो हम दुःखी हो जाते हैं .
इस तरह से तो हम किसी और के ग़ुलाम ही हो गए न।
ये रिमोट कंट्रोल हम अपने हाथ में ले लें, तो कोई चाहे कुछ भी कहे, हम सिर्फ़ ख़ुश रहेंगे.
आप कार ख़रीदते हैं, क्योंकि सोचते हैं कि इससे ख़ुशी मिलेगी...
बड़ा मकान ख़रीदते हैं और वहॉं भी यही तमन्ना रखते हैं कि ख़ुशी मिल जाएगी...
लेकिन वह मिलती ही नहीं। इसका कारण साफ़ है कि मकान और कार ख़ुशी नहीं देते।
इनके विज्ञापन में भी आपको बहुत सी सुविधाएँ लिखी मिल जाएंगी, पर ख़ुशी का कहीं ज़िक्र नहीं होगा।
ख़ुशी न तो ऐसी है कि पैसा देकर ख़रीद लिया जाए और न ही ऐसी
कि कोई हमें दे दे, जिससे हम हमेशा के लिए ख़ुश हो जाएँ।

कुछ लोग ये मानकर चलते हैं कि बाहर के लोग या वस्तुएँ
उन्हें ख़ुशी देंगे, इसलिए वे सुबह से शाम तक हाथ फैलाकर ख़ुशी मांगते रहते हैं,
लेकिन जिसके पास वह चीज़ है ही नहीं वह भला कैसे देगा। दरअसल ये ख़ुशी
भीतर से तो है किन्तु वहॉं कोई झॉंकने की कोशिश नहीं करता।
यदि किसी को कोई दुःख पहुँचा दे तो वह सोचता है कि कोई बाहरी व्यक्ति ही आकर
उसे समझाए तब वह समझेगा, लेकिन यदि वह ख़ुद से बात कर ले और समझ ले
तो उस दुःख के दूर होने में एक मिनट का समय भी नहीं लगने वाला.
जब तुम पर कोई ग़ुस्सा करता है तो तुम ग़ुस्से में उसका जवाब मत दो।
दरअसल जो ग़ुस्सा कर रहा है वह उस समय बीमार जैसा है और बीमार से सहानुभूति रखना चाहिए।
यदि हम उसके पर ख़ुद भी ग़ुस्सा हो गए तो फिर हम उसके ग़ुलाम हो गए।
उन्होंने कहा कि ग़ुस्सा और ख़ुशी ऐसे हैं कि दोनों साथ नहीं रह सकते।
यदि ग़ुस्सा है तो ख़ुशी ग़ायब है और ख़ुशी है तो ग़ुस्सा ।



यह ऑप्शन हमारे पास है कि हम ग़ुस्सा करें या ख़ुश रहें...
यदि चाहते हैं ख़ुश रहना तो ग़ुस्सा छोड़ दें, दूसरों के कहे से प्रभावित न हों,
यदि किसी की बात बुरी भी लग जाए तो आप ख़ुद ही अपने को समझाएँ...
दूसरों का इंतज़ार न करें।

8 comments:

ghughutibasuti said...

We may not be able to control others actions but we can always control our reaction. That reaction shows who we are !
ghughutibasuti

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

"कुछ तो लोग कहेँगेँ,
लोगोँ से क्या हमेँ लेना " :)
एक गुजराती कथा याद आ गई बाप और बेटा घोडा लेकर दूर हाट मेँ बेचने निकले थे,
और रास्ते मेँ लोगोँ के कहने पर अपनी सवारी और व्यवहार बदलते रहे और अँत मेँ,
घोडा नदी मेँ गिर के डूब गया ...
आपको भी याद होगी शायद
...&...
Wish you a wonderful & peaceful New year -2009 Sanjay bhai !!

Vinay said...

ख़ुशी के लिए बहाना नहीं होता, दिल जहाँ जिसमें रम जाये वहीं ख़ुशी है, कहाँ ढूँढेगे, आप सबका भला सोचे और करें ख़ुशी अन्दर से चेहरे पर साफ़ झकेगी, सच मानिए!

नववर्ष की शुभकामनाएँ

Dr. G. S. NARANG said...

yadi jeevan santulit ho to manushya har khushi pa leta hai . bahut achaa likha hai sir .mann kee bate kahi hai apne.

RADHIKA said...

शब्द शब्द सत्य आलेख ,बहुत सुंदर लेख ,बधाई

indianrj said...

इस नए वर्ष में अपनी खुशियों का रिमोट अपने ही हाथ में रखने की कोशिश करेंगे.

arun prakash said...

लोग तो रिमोट और स्विच दोनों अपने पास ही रखना चाहते है
भले बिजली या सेल दोनों काम नहीं कर रहा हो
सत्य कथन काश लोग इसे समझ जाते

Bhavana Newaskar said...

bahut hi practical bat kahi he iske liye dhanyawad