Tuesday, September 18, 2007

अपनी अहमियत न जताएँ...दुनिया आपके बग़ैर भी चलेगी

दुनिया और ज़िन्दगी को एक अनुशासन में लाना ही पड़ता है.पढ़ने और सोचने के बाद यथार्थ से भरे कुछ शब्द ज़हन में उभरे हैं ....आपके साथ बाँट रहा हूँ

- अहंकार को घटाओ...सब कुछ उस ऊपर वाले का बनाया हुआ है....आपका नहीं.

- अपनी अहमियत न जताएँ..कोई है जो इस जगत को बहुत ख़ूबसूरती से संचालित कर रहा है
आपके होने के पहले भी दुनिया थी..... आपके बगै़र भी दुनिया चलेगी.

- पूरे जगत के बारे में सोचें...थोड़ा कम स्वार्थी होकर तो देखिये.

- सादा जीवन बसर करें.निसर्ग को नुकसान न पहुँचाएँ...ये आपका बनाया हुआ नहीं है...आप इसे
बिगाड़ने वाले कौन होते हैं.

- दुनिया को वैसा ही देखिये जैसी वह है...उसे अपने हिसाब से ढ़ालने की कोशिश न करें ; नाक़ाम हो
हो जाएँगे. समय अपने हिसाब से चल रहा है...चलता रहेगा...परिस्थियों के साक्षी बनें..न्यायाधिपति
नहीं.

- आपको लगता है दु:ख आपके हवाले कर दिया गया है; सुख दूसरों के खाते में जमा हो गया है ;
आप ग़लत सोचते हैं. ये तयशुदा फ़िल्म है हुज़ूर बस देखते जाइये...एक क़िरदार बने रहिये..उससे
संघर्ष मत कीजिये.. ज़रा ग़ौर कीजिये आपका दु:ख दूसरों से कम है...इस बात की ख़ुशी तो मनाइये.

- और अंत में.....जान लीजिये कि मृत्यु ही एकमात्र चीज़ है जो सुनिश्चित है..आप सबकुछ अपने
से तय कर सकते हैं बस मृत्यु नहीं...वह सुनिश्चित है ...लेकिन कब ? यह अनिश्चित है.तो जो
सुनिश्चित है वही दैवीय है...उसकी आनंदपूर्वक प्रतीक्षा कीजिये.

6 comments:

Rajeev (राजीव) said...

आपने सूक्तियाँ तो बहुत सही / सत्य लिखी हैं, पर यह अवश्य है कि इनमें से अधिकांश को व्यवहार में लाना के लिये अभ्यास भी बहुत चाहिये, और आत्म-नियंत्रण भी


बस अनिश्चितता ही निश्चित है!

उन्मुक्त said...

बात तो सही फरमा रहे हैं।

अनिल रघुराज said...

सही सलाह है कि मृत्यु की आनंदपूर्वक प्रतीक्षा कीजिए। मृत्यु का यह अहसास हमेशा जिंदा रहे तो अहमियत की औकात खुद ही साफ हो जाती है।

शब्द-सृष्टि said...

राजीव भाई,उन्मुक्तजी और अनिल भाई..
साधुवाद आपकी भावनाओं के प्रति.
हम सब अच्छा सोचते रहें और उसे आपस में बाँटते रहें ये भी एक नेक शुरूआत है.सोच से ही तो आचरण विकसित होता है. सकारात्मक चिंतन ही अंतत: आनंदमय जीवन को प्रशस्त करता है.
इति शुभम.

Udan Tashtari said...

उत्तम विचार और नेक सलाह के लिये बहुत बहुत आभार.

indianrj said...

"अपनी अहमियत न जताएँ...दुनिया आपके बग़ैर भी चलेगी" सत्य है, लेकिन कितने लोग समझ पाते हैं.