दुनिया और ज़िन्दगी को एक अनुशासन में लाना ही पड़ता है.पढ़ने और सोचने के बाद यथार्थ से भरे कुछ शब्द ज़हन में उभरे हैं ....आपके साथ बाँट रहा हूँ
- अहंकार को घटाओ...सब कुछ उस ऊपर वाले का बनाया हुआ है....आपका नहीं.
- अपनी अहमियत न जताएँ..कोई है जो इस जगत को बहुत ख़ूबसूरती से संचालित कर रहा है
आपके होने के पहले भी दुनिया थी..... आपके बगै़र भी दुनिया चलेगी.
- पूरे जगत के बारे में सोचें...थोड़ा कम स्वार्थी होकर तो देखिये.
- सादा जीवन बसर करें.निसर्ग को नुकसान न पहुँचाएँ...ये आपका बनाया हुआ नहीं है...आप इसे
बिगाड़ने वाले कौन होते हैं.
- दुनिया को वैसा ही देखिये जैसी वह है...उसे अपने हिसाब से ढ़ालने की कोशिश न करें ; नाक़ाम हो
हो जाएँगे. समय अपने हिसाब से चल रहा है...चलता रहेगा...परिस्थियों के साक्षी बनें..न्यायाधिपति
नहीं.
- आपको लगता है दु:ख आपके हवाले कर दिया गया है; सुख दूसरों के खाते में जमा हो गया है ;
आप ग़लत सोचते हैं. ये तयशुदा फ़िल्म है हुज़ूर बस देखते जाइये...एक क़िरदार बने रहिये..उससे
संघर्ष मत कीजिये.. ज़रा ग़ौर कीजिये आपका दु:ख दूसरों से कम है...इस बात की ख़ुशी तो मनाइये.
- और अंत में.....जान लीजिये कि मृत्यु ही एकमात्र चीज़ है जो सुनिश्चित है..आप सबकुछ अपने
से तय कर सकते हैं बस मृत्यु नहीं...वह सुनिश्चित है ...लेकिन कब ? यह अनिश्चित है.तो जो
सुनिश्चित है वही दैवीय है...उसकी आनंदपूर्वक प्रतीक्षा कीजिये.